कितनों ने ही खरीदा सोना मैने एक ‘सुई’ खरीद ली,

 कितनों ने ही खरीदा सोना

मैने एक ‘सुई’ खरीद ली,
सपनों को बुन सकूं जितनी
उतनी ‘डोरी’ खरीद ली

सब ने जरूरतों से ज्यादा
बदले नोट
मैंने तो बस अपनी
ख्वाहिशे बदल ली

शौक- ए- जिन्दगी
कुछ कम कर लिए,
फिर बगैर पैसों में ही
‘सुकून-ए-जिन्दगी’ खरीद ली

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